जब जब वो मुझे याद करता होगा,
सावन तो उसकी आंखो से बरसता होगा।
क्या हुआ जो वो मुझे तिशनगी दे गया,
एक बूंद के लिए वो भी तरसता होगा।
हलकी रिमझिम बारिश के मौसम मेँ,
किसी के लिए वो भी तड़पता होगा।
वो अपनी आंखे झुका के रखता है,
मुझे देख लेने के डर से लरजता होगा।
उसकी आंखो मेँ मैँ ने नशा देखा है,
पीने वाला तो गिर-गिर के सम्भलता होगा।
कभी-कभी तो मेरी यादो को सोचकर,
वक्त उसका भी तनहाइयोँ मेँ गुजरता होगा।
कभी-कभी तो ‘साहिल’ वो भी भूले से,
मेरे लिए ही शायद संवरता होगा।
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